Wednesday, April 23, 2008

महीमा

अहो जगताप सुनो जन बात
अहो जगतम्ब को ना विलम्ब
अहो मुनि गावत तुन्ही दयाल
कृपाल-कृपाल-कृपाल-तू कृपाल



भवानी तुन्ही भवतारण संत
सुगावत ईस हरि एक दंत
दया कर देवी दहूँ मम हाथ
अनाथ- अनाथ-अनाथ-मैं अनाथ



बिना जळ ज्याँ मुरझावत मीन
दया निधि तूँ ही उदारण दीन
रैयो तन संकट ते अति क्षीण
अधीण-अधीण-अधीण-मैं अधीण



अहो जगदम्ब सुनो मम टेर
दिने दिन मोहे रैयो खल घेर
करे नही कोई अन्याय निवेर
अंधेर-अंधेर-अंधेर-भयो अंधेर




सदा उठ मांगत प्यादेही रोज
नही धन गांठरी आवैही रोज
कौन धणी जननी बिन आही
त्राहि - त्राहि- त्राहि -मची त्राही




इस देश महा उपज अनरथ
तूँ जन राखण को समरथ
भजुं नित देख अन्याय की लाय
बचाय- बचाय- बचाय-मम् बचाय




दया निधि दिनन की सुख धाम
न जान पड़े खल को न विराम
करे दुःख भुलके कौन अजाद
फरियाद-फरियाद-फरियाद-सुनो फरियाद




सब देख लिए नर ही सब देव
करीये-न-कीन कई अति सैव
कोण धणी बिन ही सुरराय
सहाय-सहाय-सहाय-करो सहाय




5 comments:

Kavi Kulwant said...

bahut khoob.. congrats..

vinodbissa said...

bahut sundar BLOG BANAAYAA HAI AAPNE ,,,,,,SHUBHKAMANAYEN....

Unknown said...

hi bro i relised it
hi bro rajsthan ko is blog me utardo taki ham jyada hamare vahake kavi, matajio or vahake mandiro ke bareme jan sake vahake logo k karib aashke
aapke is kam ke liye karniji shahay dushre koi word nahi he mere pass
jay mataji

KARSHAN N.BAROT said...

hdvjkJay Mataji....

Simply Great......

Keep doing good work , mataji will always with yours

congrats...

hajj said...

jai mata ji ki sa,,,,,,,,, is blog ki safalta ke liye meri taraf se agreem shubhkamnayen. ye 1 accha prayaas h,