Friday, April 25, 2008

भोग लगाने की आरती

करणी ने रात दिन आवे बेग अबार!
अबकी बैला अम्बका ले नव लख न लार!!


सभी मिल सगत्यां नवलख संत डोकरी जीमो डाढाली!


आसो दाख दुवारा विस्की, पीवो मध प्याली!
सुवरण थाल छत्तिसो भोजन बैठो विरदाली ! १ !

साठ पुलाव सोयता लिजे माता मतवाली !
दाव कलैजो और भुजवो जीमो माँ काळी ! २ !

घेवर पुडी पकवान मिठाई खटरस हिक थाली !
आप अरोगो मात इश्वरी चंडी चिरताली ! ३ !

रिद्धि सिद्धि चंवर करे निजकर सूं आनंद उजियारो !
कंचन कलश गंगाजळ भारियो पीवो प्रतिपाली ! ४ !

ढोल नगारा नोबत झालर बाज रही टाली !
मेहाई जद मात अरोगे बीस भुजा वाळी ! ५ !

अम्बादान चंडी तेरो चहरो माँ धावल वाळी !
कष्ट कलेश दुःखहर दरिद्र कर सम्पति शाली ! ६ !

श्री आवड़ जी की आरती


जय गिरवर राया, मैया जय गिरवर राया!
आवड़ आदि सगती, मामड़ घर आया ! ॐ जय गिरवर...

माड़ धारा बिच माजी ,चारण कुळ चाया!
आप अवतरया अम्बे, साँसण सुरराया! जय गिरवर ....

सिंध मैं आढ़ सगती, समंदर सुकवाया!
पेट माय परमेश्वरी, महासागर पाया! ॐ जय गिरवर...

भुजंग डस्यो निज भ्राता, निरी अकला पाया!
भोर उगत भगवती, लोवड़ लुकवाया!ॐ जय गिरवर...

देत मार डाढाली,गोरी खो गड़वाया!
आप सिला दे आडी, थान ऊपर थाया! ॐ जय गिरवर...

बकर मद बाराऊ, छिक आनंद छाया!
चडत पूज नित चंडी,भैसा मन भाया! ॐ जय गिरवर...

मेवा चडत मिठाई, शुद्ध घ्रत सवाया!
जगमग जोत जगती, तोरी महमाया ! ॐ जय गिरवर...

दरश दिया दुःख भागे,करज्यो देख दया!
अम्ब कहे नित आनंद, गुण आवड़ गाया! ॐ जय गिरवर...

श्री करणी माता जी की आरती

जय अम्बे करणी,मैया जय अम्बे करणी!
भक्त जनन भय संकट, पान छिनी हरणी! ॐ जय अम्बे....

आदि शक्ति अविनाशी,वेदन मैं वरणी!
अगम अन्नत अगोदर,विश्वरूप धरणी!ॐ जय अम्बे....

काली तू किरताली, दुर्गे दुःख हरणी!
चंडी तू चिरताली, ब्राह्मणी वरणी !ॐ जय अम्बे....

लक्ष्मी तू ही जाला,आवड़ जग हरणी!
दत्य दलण डाटाली, अवना अवतारणी! ॐ जय अम्बे....

ग्राम सुआप सुहाणी, धन थलहट धरणी!
देवल माँ मेहा घर, जन्मी जग जननी! ॐ जय अम्बे....

राज दियो रिड़मल ने, कानो खय करणी!
धेन दुहत बणिये की, तारो कर तरणी!ॐ जय अम्बे....

शेखो लाय सिंध सूं, पेथड़ आचरणी!
दशरथ धान दिपायो, सांपूसुख शरणी!ॐ जय अम्बे....

जेतल भूप जिताड़यो, कमल दल दलणी!
प्राण बचाए बखत के , पीर कला हरणी! ॐ जय अम्बे....

परचा गिण नही पाऊ, माँ अशरण शरणी!
सोहण चरण शरण मैं,दास अभय करणी! ॐ जय अम्बे....

ॐ जय अम्बे करणी,मैया जय अम्बे करणी!
भक्त जनन भय संकट, पल छिनमै हरणी !

श्री करणी माता जी की आरती

चारण जाति मैं अवतार-

महादेवी श्री हिंगलाज माता पाकिस्तान
श्री आवड़ माता जैसलमेर

श्री खुडियार माता गुजरात


श्री करणी माता देशनोक
चारण जाति मैं अवतार-

चारण जाति शक्ति उपासको मैं एक मुख्य जाति है!इस जाति के व्यक्ति को दूसरी जातियाँ देवी-पुत्र के नाम से संबोधित करती है! यही कारण है कि महाशक्ति को अवतार लेने के लिए चारण जाति ही अनुकूल जान पड़ी!चारण जाति मैं देवी के अनेक अवतार हुए!राजस्तान मैं देवियो की जो सामान्य रूप से स्तुति की जाती है, उनमे नॉ लाख लोवडीयाल पद का व्यवहार किया जाता है!जिसका तात्पर्य है कि देवी के आज तक साधारण और असाधारण कुल नॉ लाख अवतार हुए है!इसके अलग चौरासी चारणी पद का भी व्यवहार होता है!इससे यह पता चलता है कि चारण जाति मैं महाशक्ति के ८४ अवतार हो चुके है!
चारणों कि उत्पत्ति कि तरह इनके देवी-देवताओं के सम्बन्ध मैं भी अनेक लोक गाथाए प्रचलित है!एक लोक गाथानुसार चारणों की प्रथम कुलदेवी हिंगलाज थी,जिसका निवास स्थान पाकिस्तान के बलुचिस्थान प्रान्त मैं था!हिंगलाज नाम के अतिरिक्त हिंगलाज देवी का चरित्र या इसका इतहास अभी तक अप्राप्य है!हिंगलाज देवी से सम्बन्धित छंद गीत चिरजाए जरुर मिलती है!प्रसिद्ध है किसातो द्वीपों मैं सब शक्तियां रात्रि मैं रास रचाती है और प्रात:काल सब शक्तियां भगवती हिंगलाज के गिर मैं आ जाती है-
"सातो द्वीप शक्ति सब रात को रचात रास!
प्रात:आप तिहु मात हिंगलाज गिर मैं!!
ये देवी सूर्य से भी अधिक तेजस्वी है,और स्वेच्छा से अवतार धारण करती है!इस आदि शक्ति ने आठवी शताब्दी मैं सिंध प्रान्त मैं मामड़(मम्मट)के घर मैं आवड देवी के रूप मैं द्वितीय अवतार धारण किया! ये सात बहिने थी-आवड, गुलो, हुली, रेप्यली, आछो, चंचिक, और लध्वी! ये सब परम सुन्दरिया थी! कहते है कि इनकी सुन्दरता पर सिंध का यवन बादशाह हमीर सुमरा मुग्ध था!इसी कारण उसने अपने विवाह का प्रस्ताव भेजा पर इनके पिता के मना करने पर बादशाह ने उनको कैद कर लिया यह देखकर छ: देवियाँ टू सिंध से तेमडा पर्वत पर आ गई!एक बहिन काठियावाड़ के दक्षिण पर्वतीय प्रदेश मैं 'तांतणियादरा' नामक नाले के ऊपर अपना स्थान बनाकर रहने लगी!यह भावनगर कि कुलदेवी मानी जाति हैओर समस्त काठियावाड़ मैं भक्ति भाव से इसकी पूजा होती है!
जब आवड देवी ने तेमडा पर्वत को अपना निवास स्थान बनाया तब इनके दर्शनाथ अनेक चारणों का आवागमन इनके स्थान कि और निरंतर होने लगा और इनके दर्शनाथ हेतु लोग समय पाकर यही राजस्थान मैं ही बस गए!इन्होने तेमडा नाम के राक्षस को मारा था, अत: इन्हे तेमडेजी भी कहते है!आवड जी का मुख्य स्थान जैसलमेर से बीस मील दूर एक पहाडी पर बना है!
पन्द्रहवी शताब्दी मैं राजस्थान अनेक छोटे छोटे राज्यों मैं विभक्त था!जागीरदारों मैं परस्पर बड़ी खिचातान थी और एक दूसरे को रियासतो मैं लुट खसोट करते थे, जनता मैं त्राहि त्राहि मची हुई थी!इस कष्ट के निवारणार्थ ही महाशक्ति हिंगलाज ने सुआप गाँव के चारण मेहाजी की धर्मपत्नी देवलदेवी के गर्भ से श्री करणीजी के रूप मैं अवतार ग्रहण किया !
"आसोज मास उज्जवल पक्ष सातम शुक्रवार!
चौदह सौ चम्मालवे करणी लियो अवतार!!
जन श्रुतियों और चयोगीतानुसार स्पष्ट है किश्री करणीजी अनेक आलोकिक कार्य किये! मारवाड़ मैं राव जोधा कि शक्ति स्थपित कर अपने ही कर कमलों के द्वारा जोधपुर के किले की नींव रखी! राव बीका ने करणीजी के आशीर्वाद से ही जात एवम मुसलमानो पर विजय प्राप्त कर बीकानेर राज्य की स्थापना की!मझधार मैं पड़ी नौका को किनारे लगाकर चित्तौड़ के सेठ झगडूशाह को उबारा !अपने मृत पुत्र लाखण के प्राण यमराज से ले कर आई और उन्हें पुनः जीवित किया! इस प्रकार अनेक अलोकिक कार्य करती हुई संवत १५९५ छेत्र शुक्ल नवमी,देह ज्योतिलीन हुई!उनके भौतिक देह त्यागने के सम्बन्ध मैं ये दोहा प्रचलित है!-
“ वर्ष डेढ़ सौ मास छ:,दिन उपरांत दोय!
देवी सिधाया देह सूं, जगत सुधारण जोय!!
महादेवी का देशनोक मैं स्थित चूहों का मन्दिर श्रदालू भक्तो एवम पर्यटको के लिए आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है!

Thursday, April 24, 2008

आरती

ज्यांके सुर शरणहूँ वन्दित चरण मुनि
निगमहूँ नाहि गम वांके नर नारी की !
खग पति रेल पति गज पति मोर पति
गावे ते ना पावे गति जग महतारी की !
हे री मन मौही मेरे काहे को उदास हो
ध्यावे क्यों ना आस अम्बे दास सुख कारी की !
दोय भुझ वारो नर शरण बचाय लेत
गेहूं शरण मैं तो बीस भुझ वाळी की !

जोत

मात करनाल इश्वरी .....

जय आदि शक्ति इश्वरी !

जय पुरण ब्रहम परमेश्वरी !

जय ज्ञान तू ज्ञानेश्वरी!

जय ध्यान तू ध्यानेश्वरी!

जय ब्रहम तू ब्रहामेश्वरी !

जय विष्णु तू विश्वेश्वरी!

जय महेश जयति महेश्वरी!

जय योग रूप रुपेश्वरी !

जय विश्व सर्वे विश्वेश्वरी!

जय वेद मात मातेश्वरी!

जय निति कहे निग्मेश्वरी!

जय निरंकार निरंज्नेश्वरी!

सदा आनंद शरण अखिलेश्वरी!

जय मात करनल इश्वरी........

Wednesday, April 23, 2008

महीमा

अहो जगताप सुनो जन बात
अहो जगतम्ब को ना विलम्ब
अहो मुनि गावत तुन्ही दयाल
कृपाल-कृपाल-कृपाल-तू कृपाल



भवानी तुन्ही भवतारण संत
सुगावत ईस हरि एक दंत
दया कर देवी दहूँ मम हाथ
अनाथ- अनाथ-अनाथ-मैं अनाथ



बिना जळ ज्याँ मुरझावत मीन
दया निधि तूँ ही उदारण दीन
रैयो तन संकट ते अति क्षीण
अधीण-अधीण-अधीण-मैं अधीण



अहो जगदम्ब सुनो मम टेर
दिने दिन मोहे रैयो खल घेर
करे नही कोई अन्याय निवेर
अंधेर-अंधेर-अंधेर-भयो अंधेर




सदा उठ मांगत प्यादेही रोज
नही धन गांठरी आवैही रोज
कौन धणी जननी बिन आही
त्राहि - त्राहि- त्राहि -मची त्राही




इस देश महा उपज अनरथ
तूँ जन राखण को समरथ
भजुं नित देख अन्याय की लाय
बचाय- बचाय- बचाय-मम् बचाय




दया निधि दिनन की सुख धाम
न जान पड़े खल को न विराम
करे दुःख भुलके कौन अजाद
फरियाद-फरियाद-फरियाद-सुनो फरियाद




सब देख लिए नर ही सब देव
करीये-न-कीन कई अति सैव
कोण धणी बिन ही सुरराय
सहाय-सहाय-सहाय-करो सहाय




दोहा

1 -देवी देश-विदेश फिरूं मने मत ज्या जो भूल,
मात करनला दया राख्जे मैं थारे चरणा री धूल,


2 -हुन्तो थारो भगत हूँ थारो ही दास,
भीड़ पड्या आवे भगवती पुरण है विश्वास!
देशाणो दुःख मेटणो सदा ही बरसे सुख,
दिन उगता दर्षण करूँ माँ करनादे रो मुख!!


3 -पूत-कपूत जाण,
म्हाने भी तो ज्ञान दो आप गुणा खाण!
सुख देणो दुःख मेटणो माँ करणी रो नाम,
चरण शरण दे चारणी पुनि-पुनि करूँ प्रणाम!!


4 -पूत-कपूत जाण हेलो सुण ज्ये साँवरी,
जीवां थारे ताण काबा वाळी करनला!

चारण कुल अवतार चौतरफी रक्षा करो
सिंग पर होय सवार भीड़ पड्यां आवे भगवती

जय करणी जगतम्ब भूख भगे दर्शन करयाँ
धर माथे भुजलम्ब माँ दाढ़ी वाली डोकरी


काबा करत किलौल करणी रे दरबार मैं,
पाँव धरे इण पौळ धीमो चाले मानवो!

संगमरमर रो धाम दुर्लब बण्यो देवरो,
धोरा मांही धाम धवल धज्जा फेरावली!

कुण लिख सके कविता माता रो मोटो चरित्र,
उचित-अनुचित कागज्या काला करूं!

बढ़ भागी देशाण बिराजे करनला,
मिन्दर इसो महान दुनिया मैं दिसे नाही!

Tuesday, April 22, 2008

करणी चालीसा....

देवी करनल मात रो याद करतां नाम
सागताँ रो शरणो लिया मिटे विधन तमाम !
नो दुर्गा दुःख मेटणी सदा रहो
प्रसन्न करणी माँ कृपा करो बिन्वे भगत जनन!!........

गजानंद गणपति को ध्याऊ
गुरु गौतम की आज्ञा पाऊ !! 1

जय-जय करणी मात कृपालू !
पुत्र कपुत्र हे मात दयालु !! 2

नम: अम्बे दुःख हरनी !
नम: मात करनल सुख करणी!! 3

मास इक्कीस गर्भ मैं रहिया !
गर्भ मैं बोल शबदसुख कहिया!! 4

कर त्रिशूल सिंह असवारी !
माँ दर्शन कर भई सुखीयारी!! 5

भुवा को करतब दिख लायो !
करणी नाम तभी से पायो!! 6

सर्प दंश पिता जीवत किना!
ब्राहमण सूबे को वार दिना !! 7

शेख जी की क्षमा मिटाई !
कीनो आप धरम को भाई !! 8

दिनों फेर अमर वरदान !
मुक्त करण धाई मुल्तान !! 9

सांवली रूप धर्यो तब सगताँ!
करुण पुकार करी जब भगताँ!! 10

झगडू शाह री नाव उबारी!
गाय दुहन्ता बांह पसारी !! 11

पिता को पुत्र प्राप्त करायो!
राठौडा रो मान बढायो!!12

मह पिता देवल महतारी !
गाँव सुवाप सगत अवतारी!! १३


साठिका ससुराल सुवाया!
पति संग बहन का ब्याव रचाया!! 14

पति का दिना भरम मिटाई !
तब देवी देशाणे आई !! 15

नेहडी जी मैं नेहडी रोपी!
कान्हे कार वही पर लोपी!!16

देवी के सब आवे शरणे!
मोह मत हरणो आयो मरणे !! 17

सुरजो मोहिल पथड़ कालो!
मारयो दे छाती मैं भालो!! 18

लड़ता दशरथ आयो काम!
मन्दिर माही थरप्यो थान!! 19

लुट खसोट मची बड़ी भारी!
राज बणया है अत्याचारी!! 20

मिनख-मिनख ने काटण लागे!
धारा पाप से फाटण लागे!! 21

तब ले वे करणी अवतार!
चमके त्रिशूल तलवार !! 22

रण कुंवरी बीके सुं परणी!
बीकानेर थरप्यो करणी!!23

देशनोक मन्दिर मनभावन!
ओरण जाणे मधुवन पावन!! 24

डर डाकर मेटे डाढाली!
जय माँ करणी काबा वाळी!!25

प्राण तज्यो पुत्र कपिल सरोवर!
कोप कियो तब धरम राज पर!! 26

तेहि समय से है मर्यादा!
मम सब वंशज बणसी काबा!! 27

मुसक बण मन्दिर मैं आसी!
चारण की मैंटी चौरासी!! 28

घणा पुत्रा घणा पोत्रा वाळी!
जय जगदम्बा जोताँ वाळी!! 29

अणदे ने जद आणद बाणी!
दौड़ी माता पगां उबाणी!30

कामेही श्री बखड आवड!
करपा करो हे करनल मावड!! 31

चोथे ऊँठ सिंध पग भाग्यो!
हे करणी के रोवण लाग्यो!!32

काठ तणो पग जोड़ ले आई!
जंगल मैं जा करी सहाई !! 33

बन्ने अँध परिक्रमा दिनी!
जिनकी आँख गरुड़ सी किनी!! 34

करणी परचा दिया किरोडू!
आज आसरो किण विद छोडू !! 35

दुःख दरिद्र मात मोहे घेरो!
तुम बिन कौन हरे दुःख मेरो!! 36

पुत्र कपुत्र मैं मात तिहारो!
मैहाई मोहे एक सहारों!! 37

मैं अति दुर्बल शत्रु सतावे!
मात बिना कुण हिन्ये लगावे!! 38

मैं तो धर चरणा शीशा!
नित पाठ करता चालीसा!! 39

तन मन धन से करता भगति!
सदा चरण मैं राखी सगति!! 40

अवतार...

अम्बे तेरी शरण मैं सदा रहे मम् ध्यान!
जनम -जनम तेरी भक्ति करूँ ऐसा दो वरदान!!

आसू मास उजाल पख सातम शुक्रवार
चवदे सौ चम्बाल मैं आप लियो अवतार

पंद्रे सौ पिच्चान्वे देव शुकल गुरु नम:
देवी सागे देह सूँ पुग्या जोत परम

बरस डेड सौ मास छउ दिन उपरला दोय
देवी सिधाया देह सूं, जगत सुधारण जोय

धिन-धिन आ धौरा धारा धिन देशाणो गाँव
जगतम्बा करणी जठे अवतर थरप्यो थान..........


बीस हथि!!


सुमति शुद्ध बुद्ध हिन्ये भर दे कुमति कर दूर सदा सगति!
उर मैं नही ज्ञान अज्ञान अति कर दान अभैय अपणी भगति!!
कलिकाल महाविक्राल समय भगतां पर हाथ माँ भूल मति!
अवनि आई नाथ अखंड बसों नव खंड मैं राजत बीस हथि!!