अम्बे तेरी शरण मैं सदा रहे मम् ध्यान!
जनम -जनम तेरी भक्ति करूँ ऐसा दो वरदान!!
आसू मास उजाल पख सातम शुक्रवार
चवदे सौ चम्बाल मैं आप लियो अवतार
पंद्रे सौ पिच्चान्वे देव शुकल गुरु नम:
देवी सागे देह सूँ पुग्या जोत परम
बरस डेड सौ मास छउ दिन उपरला दोय
देवी सिधाया देह सूं, जगत सुधारण जोय
धिन-धिन आ धौरा धारा धिन देशाणो गाँव
जगतम्बा करणी जठे अवतर थरप्यो थान..........
Tuesday, April 22, 2008
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